Not known Facts About sidh kunjika
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नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
On chanting in general, Swamiji states, “The greater we recite, the greater we listen, more info and the more we attune ourselves into the vibration of what's remaining stated, then the more We are going to inculcate that attitude. Our intention amplifies the Perspective.”
इसके प्रभाव से जातक उच्चाटन, वशीकरण, मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि पाने में सफल होता है.